Sunday 26 April 2015

अच्छा करो तो बुरा ही होगा

सच्चे मन से तुझको ध्याया
गुणगान सदा ही तेरा गाया
दया-धर्म के पथ पर चल के
परोपकारिता का दीप जलाया
सच्चाई के पथ पर चल के
औरों को भी चलना सिखाया
गल्ती कौन सी हुयी थी मुझसे ?
जो ऐसी मुझको सजा दिलाया
अच्छा करो तो बुरा ही होगा
ऐसा किसी को बोलते पाया 
विश्वास मुझे होने लगा है
क्योंकि,………………
प्रमाण जब सामने आया । 
कलयुग शायद आ ही गया है
सच्चाई पे बुराई जीतने लगा है
बुराई के पथ पर चल नहीं सकता
क्योकि जीवन अभी बहुत बड़ा है
विश्वास कायम तुझ पर अभी भी 
शायद ओ परिक्षा थी हमारी 
इससे भी बुरा होने वाला था 
इसमे ही टाल दिया है । 

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी 

हैप्पी 4थ एनीवर्सरी

कभी खुशी तो कभी गम कभी तुमसे तकरार हुआ
पल पल मे पल गये, हर पल मे हमेँ प्यार हुआ
पहला, दुसरा, तीसरा और आज चौथा साल हुआ
सँग तुम्हारे जिँदगी मे,  और भी खुशहाल हुआ

 डेडीकेटेड टु माई स्वीट वाईफ 
@ विनोद जेठुडी, 14 अप्रैल, 2015 

सुखी जीवन का जीना

चाहे फूलोँ के महल मे हो आशियाना
हो चाहे झुग्गी- झोपडी मे रहना
नीन्द जँहा सकून की आ जाए मेरे दोस्तोँ
वही है सुखी जीवन का असली मे जीना 

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी 

Thursday 23 April 2015

किसान रैली मे किसान गजेन्द्र की आत्महत्या


कल दिनाँक 22 अप्रैल 2015 को आम आदमी पार्टी की रैली मे एक किसान गजेन्द्र सिँह की आत्महत्या का ममला मानवता को शर्मशार करने वाली घटना है । किसान गजेन्द्र सिँह आम आदमी का सक्रिय कार्यकर्ता बताया जाता है और रैले के लिये आमंत्रण मिलने पर ही ओ दौसा जिला, राजस्थान से वँहा आया था ।
इस आत्महत्या के लिए आम आदमी पार्टी के साथ साथ वँहा पर तमाशा देख रही समस्त जनता, मिडिया व पुलिस भी जिम्मेदार है । सब लोग तमाशा देखते रहे और किसी के मन मे भी इतनी सी एंसानियत नही जागी कि उसे पेड से निचे निकाला जाय ।
आम आदमी पार्टी आम आदमी होने का ढकोसला करने वाले अरविन्द केजरीवाल वँहा से मात्र 30 सेकिंड की दुरी पर भाषणवाजी करते रहे और पल-पल की खबर लेते रहे, पुलिस तथा दुसरे लोगोँ को जिम्मेदार बताने वाले क्या आपकी  इतनी जिम्मेदारी नही बनती कि खुद चले जायेँ या अपने किसी कार्यकर्ता को उसे निचे निकालने को कहा जाय ? और अगर खुद भी चले जाते तो कौन सी उनकी पद और गरिमा कम हो जाती। फिर जब घटना घटित हो जाती है बोलतेँ है कि पुलिस हमारे कँट्रोल मे नही ।
कुमार विश्वास कहते है कि “लटक गया” और उनके चेहरे पर कोई भी दुख का भाव प्रकट नही होता जैसे मानो उन्हे पहले से ही इस बात की खबर थी । क्योँ उसी वक्त अपनी भाषणवाजी बँद नही की गयी और भाषण फिर भी चलता रहा ?
आशुतोष कहते है कि दिल्ली के मुख्यमँत्री को पेड पे चढ जाना चाहिये था और खुद उतारना चाहिये था आघे से अगर येसी घटना होती है तो मुख्यमँत्री जी से निवेदन करुँगा कि खुद जाये। माननिय आशुतोष जी अगर चले भी जाते तो छोटे हो जाते वैसे भी तो ओ बोलते है कि मै आम आदमी हुँ ।
सोमनाथ भारती और अलका लाम्बा को तो जैसे ट्वीट करने की बहुत जल्दी पडी थी गजेन्द्र के मरने से पहले ही श्रधाँजली दे डाली ? येसा लगता है जैसे मानो पुरी आम आदमी पार्टी को पहले से इस बात की खबर थी और कँही ये जानबुझ कर किया हुआ गेम प्लान तो नही ?  
जनता जनार्धन (तमाशा देखने वाली) बाद मे आसुँ बहाने वालोँ और विरोध मे रैली करने वालोँ जब आप सब तमाशा देख रहे थे क्या किसी के हर्दय मे दयालुता और मानवता नाम का कुछ भी अँश नही बचा जो कोई उसे निचे उतारने कि हिम्म्त करता आप सब लोग भी गजेन्द्र किसान की म्रत्यु के लिये जिम्मेदार है ।
पुलिस प्रशासन बताया जा रहा है कि मात्र कुछ दुरी पर पुलिस का एक थाना स्तिथ है और किसी ने इतना साहस नही किया कि उस बेचारे किसान को बचाया जाय । पुलिस तो बाद मे जाँच शुरु करेगी पहले घटना तो घटित हो जाने दिजिये ! जब तक घटना घटी नही तब तक हम कुछ नही कर सकते । घटना होने दो फिर जाँच शुरु होगी और फिर जाँच कमेटी बनेगी 20 साल बाद रिपोर्ट आयेगी कि जिस पेड पर ये घट्ना हुयी थी वँहा पर येसा कोई पेड है ही नही ।
मिडिया को अपने चैनल का टी आर पी जो बढाना है इस घटना को कवरेज करना है और बाद मे लिखना है सबसे पहले सबसे तेज हमने ये घटना अपने कैमरे मे कैद किया है । उसके बाद 1 हफ्ते की खबर पुरी हो गयी है अब शुरु होगा आरोप प्रत्यारोप । क्या मानवता के नाते आपकी भी जिम्मेदारी नही बनती कि थोडा सा कैमरे को किसी और को दे कर उसकी जान बचाने कि कोशिस की जाती ? तब जा के सच्चे अर्थोँ मे आपके चैनल का टी आर पी बढता ।
दुसरोँ को बोलना बहुत आसान होता है कभी अपने गिरेवान मे भी झाक लिया करेँ ।
समूण सँस्था वहाँ पर उपस्थित लोगोँ को इस हत्या के लिये जिम्मेदार मानती है जो कि गरिब, लाचार और बेबस किसान गजेन्द्र को आत्मह्त्या के लिये उकसाने का कार्य कर रहे थे । दोषियोँ के खिलाफ कडी से कडी सजा हो ये हम माँग करते है ।
सभी राजनितिक व गैर राजनितिक पार्टियोँ से विनम्र निवेदन करती है कि किसानो के हितो की आढ मे अपनी राजनिती की रोटियाँ न सेकेँ । 

विनोद जेठुडी
23.04.2015

शिक्षक दिवस की सुभकामनाएँ - 2022

 शिक्षा का दान करने वाले महान होते हैँ ।  शिक्षक के रुप मे वह, भगवान होते हैँ ॥  शिक्षक दिवस की सुभकामनाएँ