Wednesday 25 July 2018

जातिगत आरक्षण एक अभिशाप

मराठा आंदोलन, जाट आंदोलन, गुर्जर आंदोलन, पटेल आंदोलन और न जाने कितने येसे आंदोलन है जो एक उदाहरण प्रस्तुत करते हैं कि समाज में कुछ सर्व संपन्न लोग आरक्षण के नाम दिन प्रतिदिन आंदोलन करते रहते हैं और राष्ट्रीय सम्पति को नुकसान पहुँचाने के साथ साथ दुसरे लोँगो को कष्ट पहुँचाते है । 
यदि योँ ही चलता रहा तो वह दिन दुर नही जब पुरे देश के हर एक कोने से आरक्षण आरक्षण की आवाजेँ सुनाई देगी । अधिकतर देखने में आया है यह वह समुदाय है जो उस राज्य मे सबसे समृद्ध समुदायों में से एक माने जाते है । आज आवश्यक्ता है कि आरक्षण के विरोध मे पुरे देश मे आंदोलन किया जाय और और माँगे यह हो कि 
“जातिगत आरक्षण को खत्म करो और
आर्थिक स्तिथी के अनुरुप आरक्षण हो”

भारतीय संविधान मे इस उद्देश्य से आरक्षण का प्रावधान बनाया गया था कि समाज के कमजोर वर्गों में शैक्षणिक और आर्थिक हितों विशेषत: अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों का विशेष ध्‍यान रखा जाय और उन्‍हें सामाजिक अन्‍याय एवं सभी प्रकार के शोषण से संरक्षित रखा जाय जिसमे 1950 में 10 साल (1960 तक) तक SC के लिए 15%, ST के लिए 7.5% आरक्षण की बात कही गई थी। धीरे-धीरे इसे खत्म करने की बजाय इसमें और इजाफा होते जा रहा है और आज स्तिथी यह है पिछले 65 साल में मदद का यह रवैया न केवल बढ़ता गया है बल्कि इसका दायरा और स्तर भी इतना बढ़ चुका है, जितना कि हमारे संविधान निर्माताओं ने कल्पना तक न की होगी। जब तक कोई आरक्षण को खत्म करने की बात करते है तब तक कोई दुसरा समूदाय आरक्षण के लिए आंदोलन शुरु कर देता है । 
आज स्थिति यह है कि हर किसी को आरक्षण चाहिए किसी को भी मेहनत नहीं करनी है बस फ्री की आदत पड गयी है और देखा देखी एक दुसरे लोग भी इनका अनुसरण करने लगे है लेकिन इस आरक्षण रूपी अभिशाप से बहुत से प्रतिभावान लोग पिछे रह जाते है । 
देश के उन समुदायों को जो आये दिन आरक्षण के नाम पर आंदोलन करते रहते हैं को उत्तराखंड जैसे राज्य और उनके लोगों से जो पहाडी राज्य के सुदूरवर्ती क्षेत्रों में विषम परिस्तिथियोँ मे रहते है जँहा पर न तो उस स्तर की शैक्षणिक सुविधायेँ उपलब्ध होती और न ही आर्थिक स्तिथी मजबूत है लेकिन बाबजूद इसके कभी भी  आरक्षण की माँग नही कि जबकी सच्चे अर्थो मे उन्हे आरक्षण की कितनी आवश्यक्ता है यह हर कोई समझ सकता है । 
पहाडी लोग स्वभाव से मेहनती और स्वावलंबी होते हैं और दुसरो से फ्री की मिली हुई चिजो से बेहतर मेहनत और हुनर मे विश्वास रखते है | आज देश मे आवश्यक्ता है कि हम सब मिलकर जातिगत आरक्षण के खिलाफ आवाज उठायेँ और इस आरक्षण रुपी अभिशाप को देश ने निकाल फेँके और उन लोगोँ के हितो के लिए कार्य करेँ जिन्हे सच मे आरक्षण की आवश्यक्ता है । 

धन्यवाद ! 
विनोद जेठुड़ी

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