Tuesday 22 December 2015

पुराने कपडोँ के दान हेतु निवेदन



इस्तेमाल में न आने वाले कपड़ों को यों ही न फेंक देना । 
सड़क किनारे ठंड से ठिठुकते गरीबों  को दान दे देना ॥ 

Thursday 10 December 2015

विश्व मानव अधिकार दिवस की सुभकामनायेँ

किसानोँ की तो उम्र गुजर गयी
कर्ज देते सौकारोँ की............।  
बात बडी बडी करते हो जी
मानवता के अधिकारोँ की ॥

क्या कभी गुँज सुनाई दी... ?
बम और गोली के धमाकोँ की  
बात करने से क्या फायदा
मानवता के अधिकारोँ की

अपने को ही उडा देता कोई
भीड मे जाके हजारोँ की
उन्ही का मुखिया बात करता फिर्
मानवता के अधिकारोँ की

कहाँ गयी दया भाव इन
ईंसानियत के ईंसानो की
बात करने से कुछ नही होता
मानवता के अधिकारोँ की

अकेले चलने मे डर लगता है
स्तिथी ये है महिलाओँ की
कँहा गयी ओ स्वतंत्रता हमारी
मानवता के अधिकारोँ की

बिन खाये ही सो जाते कुछ
चादर नही सर ढकने की
बात बडी बडी करते हो जी
मानवता के अधिकारोँ की

कोई अपनी जान गँवाता  
क्योँकि इच्छा थी कुछ खाने की
ये भी कैसी शोषणता है ?
मानवता के अधिकारोँ की

स्वास्थ्य, शिक्षा, विजली, पानी
अभाव है बुनियादी चीजो की
आस लगाये बैठेँ है जी ..
अपने इन अधिकारोँ की

देश मे बढती गाडियोँ से...
प्रदुशित हवा हुयी, शहरोँ की
अमिरोँ को जो शौक है लगता
शोषण गरिबोँ के अधिकारोँ की  

घर मे ही जो कैदी बन गयी  
ब्यथा सुनो उस नारी की
मुझको भी दो हक जीने का
मानवता के अधिकारोँ की

मानवता मेरा पहला धर्म है
धार्मिक पुस्तक है सतकर्मो की
आओ मिलकर आवाज उठायेँ
मानवता के अधिकारोँ की

सहयोग करेँ सब मिलकर के  
उन, जरुरत मँद ईसाँनो की
समानता से पालन हो
मानवता के अधिकारोँ की

विनोद् जेठुडी
10 दिसम्बर, 2015
(विश्व मानवता दिवस पर विशेष)

Tuesday 10 November 2015

दीपावली की सुभकामनाएँ - शुभ दीपावली

बुराईय़ोँ के अन्धियारे मे
अच्छाई का दीप जलाइँगे
देखो दिवाली आयी है....
हम जश्न खुब मनायेँगे

प्रकाश के इस पावन पर्व पर
परिवर्तन कुछ तो लायेँगे.....
पर्यावरण अपना प्रभावित न हो
मिट्टी के दिये जलायेँगे

स्वदेशी निर्मित वस्तुओँ से
घर अपना सजायेँगे.........
सुन्दर, स्वर्णिम देश हो अपना
येसा भारत बनायेँगे
  
अनेकता मे एकता का
सन्देश कुछ योँ दिलायेँगे
कि हिन्दु- मुसलिम, सिख, इसाई
मिलकर दीवाली मनायेँगे

" सुभ: दिपावली के सुभ अवसर पर...............
यह हमारी सुभकामना कि, आप बडे धनवान हो
सुख, सम्रधी, धन, वैभव और यश किर्तीमान हो
दानिय़ोँ के दानी और येसा आपका ज्ञान हो
जिस जगह पडे कदम आपके, वहाँ बडा सम्मान हो"  

विनोद जेठुडी - "समूण"

Sunday 26 April 2015

अच्छा करो तो बुरा ही होगा

सच्चे मन से तुझको ध्याया
गुणगान सदा ही तेरा गाया
दया-धर्म के पथ पर चल के
परोपकारिता का दीप जलाया
सच्चाई के पथ पर चल के
औरों को भी चलना सिखाया
गल्ती कौन सी हुयी थी मुझसे ?
जो ऐसी मुझको सजा दिलाया
अच्छा करो तो बुरा ही होगा
ऐसा किसी को बोलते पाया 
विश्वास मुझे होने लगा है
क्योंकि,………………
प्रमाण जब सामने आया । 
कलयुग शायद आ ही गया है
सच्चाई पे बुराई जीतने लगा है
बुराई के पथ पर चल नहीं सकता
क्योकि जीवन अभी बहुत बड़ा है
विश्वास कायम तुझ पर अभी भी 
शायद ओ परिक्षा थी हमारी 
इससे भी बुरा होने वाला था 
इसमे ही टाल दिया है । 

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी 

हैप्पी 4थ एनीवर्सरी

कभी खुशी तो कभी गम कभी तुमसे तकरार हुआ
पल पल मे पल गये, हर पल मे हमेँ प्यार हुआ
पहला, दुसरा, तीसरा और आज चौथा साल हुआ
सँग तुम्हारे जिँदगी मे,  और भी खुशहाल हुआ

 डेडीकेटेड टु माई स्वीट वाईफ 
@ विनोद जेठुडी, 14 अप्रैल, 2015 

सुखी जीवन का जीना

चाहे फूलोँ के महल मे हो आशियाना
हो चाहे झुग्गी- झोपडी मे रहना
नीन्द जँहा सकून की आ जाए मेरे दोस्तोँ
वही है सुखी जीवन का असली मे जीना 

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी 

Thursday 23 April 2015

किसान रैली मे किसान गजेन्द्र की आत्महत्या


कल दिनाँक 22 अप्रैल 2015 को आम आदमी पार्टी की रैली मे एक किसान गजेन्द्र सिँह की आत्महत्या का ममला मानवता को शर्मशार करने वाली घटना है । किसान गजेन्द्र सिँह आम आदमी का सक्रिय कार्यकर्ता बताया जाता है और रैले के लिये आमंत्रण मिलने पर ही ओ दौसा जिला, राजस्थान से वँहा आया था ।
इस आत्महत्या के लिए आम आदमी पार्टी के साथ साथ वँहा पर तमाशा देख रही समस्त जनता, मिडिया व पुलिस भी जिम्मेदार है । सब लोग तमाशा देखते रहे और किसी के मन मे भी इतनी सी एंसानियत नही जागी कि उसे पेड से निचे निकाला जाय ।
आम आदमी पार्टी आम आदमी होने का ढकोसला करने वाले अरविन्द केजरीवाल वँहा से मात्र 30 सेकिंड की दुरी पर भाषणवाजी करते रहे और पल-पल की खबर लेते रहे, पुलिस तथा दुसरे लोगोँ को जिम्मेदार बताने वाले क्या आपकी  इतनी जिम्मेदारी नही बनती कि खुद चले जायेँ या अपने किसी कार्यकर्ता को उसे निचे निकालने को कहा जाय ? और अगर खुद भी चले जाते तो कौन सी उनकी पद और गरिमा कम हो जाती। फिर जब घटना घटित हो जाती है बोलतेँ है कि पुलिस हमारे कँट्रोल मे नही ।
कुमार विश्वास कहते है कि “लटक गया” और उनके चेहरे पर कोई भी दुख का भाव प्रकट नही होता जैसे मानो उन्हे पहले से ही इस बात की खबर थी । क्योँ उसी वक्त अपनी भाषणवाजी बँद नही की गयी और भाषण फिर भी चलता रहा ?
आशुतोष कहते है कि दिल्ली के मुख्यमँत्री को पेड पे चढ जाना चाहिये था और खुद उतारना चाहिये था आघे से अगर येसी घटना होती है तो मुख्यमँत्री जी से निवेदन करुँगा कि खुद जाये। माननिय आशुतोष जी अगर चले भी जाते तो छोटे हो जाते वैसे भी तो ओ बोलते है कि मै आम आदमी हुँ ।
सोमनाथ भारती और अलका लाम्बा को तो जैसे ट्वीट करने की बहुत जल्दी पडी थी गजेन्द्र के मरने से पहले ही श्रधाँजली दे डाली ? येसा लगता है जैसे मानो पुरी आम आदमी पार्टी को पहले से इस बात की खबर थी और कँही ये जानबुझ कर किया हुआ गेम प्लान तो नही ?  
जनता जनार्धन (तमाशा देखने वाली) बाद मे आसुँ बहाने वालोँ और विरोध मे रैली करने वालोँ जब आप सब तमाशा देख रहे थे क्या किसी के हर्दय मे दयालुता और मानवता नाम का कुछ भी अँश नही बचा जो कोई उसे निचे उतारने कि हिम्म्त करता आप सब लोग भी गजेन्द्र किसान की म्रत्यु के लिये जिम्मेदार है ।
पुलिस प्रशासन बताया जा रहा है कि मात्र कुछ दुरी पर पुलिस का एक थाना स्तिथ है और किसी ने इतना साहस नही किया कि उस बेचारे किसान को बचाया जाय । पुलिस तो बाद मे जाँच शुरु करेगी पहले घटना तो घटित हो जाने दिजिये ! जब तक घटना घटी नही तब तक हम कुछ नही कर सकते । घटना होने दो फिर जाँच शुरु होगी और फिर जाँच कमेटी बनेगी 20 साल बाद रिपोर्ट आयेगी कि जिस पेड पर ये घट्ना हुयी थी वँहा पर येसा कोई पेड है ही नही ।
मिडिया को अपने चैनल का टी आर पी जो बढाना है इस घटना को कवरेज करना है और बाद मे लिखना है सबसे पहले सबसे तेज हमने ये घटना अपने कैमरे मे कैद किया है । उसके बाद 1 हफ्ते की खबर पुरी हो गयी है अब शुरु होगा आरोप प्रत्यारोप । क्या मानवता के नाते आपकी भी जिम्मेदारी नही बनती कि थोडा सा कैमरे को किसी और को दे कर उसकी जान बचाने कि कोशिस की जाती ? तब जा के सच्चे अर्थोँ मे आपके चैनल का टी आर पी बढता ।
दुसरोँ को बोलना बहुत आसान होता है कभी अपने गिरेवान मे भी झाक लिया करेँ ।
समूण सँस्था वहाँ पर उपस्थित लोगोँ को इस हत्या के लिये जिम्मेदार मानती है जो कि गरिब, लाचार और बेबस किसान गजेन्द्र को आत्मह्त्या के लिये उकसाने का कार्य कर रहे थे । दोषियोँ के खिलाफ कडी से कडी सजा हो ये हम माँग करते है ।
सभी राजनितिक व गैर राजनितिक पार्टियोँ से विनम्र निवेदन करती है कि किसानो के हितो की आढ मे अपनी राजनिती की रोटियाँ न सेकेँ । 

विनोद जेठुडी
23.04.2015

Tuesday 17 March 2015

ये घडी हमे ओ घडी बतावेँ


एक ही घर मे सँग – सँग रहिवेँ
सास, बहु और ननद कहलाइवेँ
ननद,  बडी तेज से जावे
टीक टीक करके सोर मचावे
बहु, मध्यम – मध्यम जावे
सास बेचारी चल ना पावे
एक दुसरे का साथ निभावेँ
एक रुके तो सब रुक जावेँ
प्यार प्रेम का पाठ पढावे
ये घडी हमे ओ घडी बतावेँ
जो घडी जावे फिर न आवेँ
सुखी दिनो की जब घडी आवेँ
दुखियारोँ को भुल न जावेँ
घडी घडी मे घडी घट जावेँ
घडी घडी का लाभ उठायेँ
ये घडी हमे ओ घडी दिखावे
सास बहु थी कभी बतावे
ननद बहु बनकर जावे
समय, समय पर सबका आवे
ये घडी हमे ओ घडी बतावेँ
समय, समय पर सबका आवे

विनोद जेठुडी, 11/03/2015 @ 08:00 A.M  

Tuesday 10 February 2015

देश का दिल दिल्ली मे आज बजी सहनाई

देश का दिल दिल्ली मे आज बजी सहनाई
कहीँ मनायीँ गयी खुशियाँ, और कहीँ हुयी रुसवाई
जो भी सीँटे पायी थी, ओ भी आज गवाँयी
ओवर कौन्फिडेँट  ने आज, बीजेपी को है डुबाई

बेदी को कैप्टन बना कर, खुद ही नाव डुबाई
क्या जितायेगी दूसरोँ को जो खुद ही जीत न पाई
बहुमत से सरकार बनेगी, थी ये चर्चा सारी
मोदी लहर की दिल्ली मे, आँधी पहुँच न पाई

15 साल से दिल्ली को लूटती रही ओ काकी
माखन ही सी.एम बनेगेँ बोलते थे पप्पु भाई
50 सालोँ की मेहनत ने आज, जीरो मे सिमटाई   
जनता जनार्धन ने, कैसे उनको, आज फटकार लगाई

49 दिनो मे जो सिखा था, ओ 67 बनकर के आई
70 भी ले आते अगर, सरकार न होती गिरायी
दुसरोँ का हाथ पकडना, रास न उनको आई
रिकोर्ड तोड सीटो से, बहुमत की सरकार बनायी

बँगला, गाडी लूँगा अब तो लूँगा सब सरकारी
ईलाज भी करवाउँगा और खाँसी की लूँगा दवाई
हर मुद्दे मे सी एम अब, करेगा खुद सुनवाई
जो बोला था सब करुँगा, चँदे की ईंक्वारी

देश का दिल दिल्ली मे आज बजी सहनाई
कहीँ मनायीँ गयी खुशियाँ, और कहीँ हुयी रुसवाई
जो भी सीटेँ पायी थी, ओ भी आज गवाँयी
ओवर कौन्फिडेँट ने आज, बीजेपी को है डुबाई


विनोद जेठुडी, 02/10/2015 @ 01:00 P.M  

शिक्षक दिवस की सुभकामनाएँ - 2022

 शिक्षा का दान करने वाले महान होते हैँ ।  शिक्षक के रुप मे वह, भगवान होते हैँ ॥  शिक्षक दिवस की सुभकामनाएँ