दुसरोँ के दुखोँ को सुलझाते सुलझाते, अपनो से ही उलझ गया हूँ ।
जिनसे घनी मित्रता हुआ करती थी कभी, आज उन्ही का दुश्मन बन गया हूँ
मैँ भी येसो आराम से रह सकता हूँ लेकिन............
समाज सेवा के जूनुन से, दुसरोँ से अलग सा हो गया हूँ ॥
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
जिनसे घनी मित्रता हुआ करती थी कभी, आज उन्ही का दुश्मन बन गया हूँ
मैँ भी येसो आराम से रह सकता हूँ लेकिन............
समाज सेवा के जूनुन से, दुसरोँ से अलग सा हो गया हूँ ॥
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
अब तो दिन भर इतना ब्यस्त रहेने लग गया हूँ,
कि अपने ही परिवार को भी समय नही दे पाता हूँ ।
घर पहुँचते ही बेटा लिपटकर पापा के सँग खेलना चाहता है..
लेकिन मै ब्यस्तता के कारण उसे समय नही दे पाता हूँ ॥
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
कुछ लोगोँ की तो गंदी-गंदी गालियाँ भी सुनता हूँ,
क्योकि उनका मानना है कि स्वार्थ के लिए यह सब करता हूँ ।
काश की हनुमान जी जैसे सीना फाड के दिखा सकता ....
कि मैँ अपने लिए नही दुसरोँ के लिए जीना चाहता हूँ ॥
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
छुट्टी के दिन भी परिवार को समय नही दे पाता हूँ
क्योंकि उसी दिन ही लम्बित पडे कार्योँ को निपटाता हूँ
बस पत्नि सँग इस बात मे ही लडाई हो जाती है कि ...
मैँ दिन भर फोन पे ही चिपका रहता हूँ .....
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
अपने शौक और एच्छाओँ का दमन कर रहा हूँ ।
चाह कर भी अपने लिये समय नही निकाल पा रहा हूँ
पिक्चर देखे तो जैसेँ सालोँ हो गये हो मुझको .......
कविता लिखने का शौक भी पुरा नही कर पा रहा हूँ ॥
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
रिस्तेदारोँ से अकसर सिकायतेँ सुनता रहता हूँ
कि मैँ बडा बन गया हूँ, फोन नही करता हूँ
उनका रुठना और सोचना भी बिल्कुल सही है ....
लेकिन कैसेँ समझाऊँ उनको कि ब्यस्त रहता हूँ
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
अपनी मेहनत की कमाई से जो भी कमाता हूँ
उसमे से कुछ रुपये दुसरोँ के लिए दान देता हूँ
सँस्था बनाकर खुब पैसे छाप रहा है ...
फिर भी कुछ लोगोँ से यह सुनने को पाता हूँ
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
मुस्किल भरा सफर है फिर भी बढे जा रहा हूँ
क्योंकि दुसरोँ की खुशी मे ही मैँ खुशी पा रहा हूँ
इस समाज सेवा के चक्कर मे मैँ
अपनोँ से दुर होते जा रहा हूँ ।
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
दुसरोँ की खुशी के लिए यह सब कर रहा हूँ
न निजी स्वार्थ इसमे, न कुछ कमा रहा हूँ
दया धर्म का मूल मंत्र है इसलिए
बस दयालुता धर्म निभा रहा हूँ ।।
क्योंकि मै अब समाज सेवी बन गया हूँ!
© विनोद जेठुडी, 28/11/2020, 11:00 a.am
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