भाई आज आपकी म्रत्यु के 3 महिने पुर्ण हो गए है । आज ही के दिन 10/04/2019 की सुबह वह अशुभ घडी थी जब आप इस दुनियाँ से चल बसे थे । वैसेँ तो जो इस दुनियाँ मे जो आया है उसका जाना भी सुनिश्चित है और यही जीवन का सत्य है परंतु मात्र 44 साल की अल्प आयु भी कोई जाने की उम्र होती है क्या ? आपका इस तरह से चले जाना और फिर कभी आपको न देख पाना इस कटु सत्य को स्वीकारना हम सब के लिए इतना आसान नही है । आपके चले जाने से येसा लग रहा है जैसेँ मानो सारी दुनियाँ मे अंधकार ही अंधकार सा छाया हो । बचपन की उन यादोँ को याद कर करके आखोँ से आंशुँ टपकने लगते है । हम तो किसी भी तरह से अपने दिल को मना लेते है लेकिन माँ जी, पिताजी जी का जो हाल है वह बयाँ नही कर सकता । माँ जी बहुत कमजोर पड चुकी है क्योंकि मात्र 26 साल की उम्र मे दीदी के इस दुनिया से चले जाने को वह हमेशा याद कर कर के रोती रहती थी लेकिन अब तो आप भी नही रहे तो और भी मुस्किल हो गय है । आपसे मुझे इस बात का भी शिकायत है कि आप हर रोज जो माँ जी और पिताजी को फोन करते थे वह आज भी आपके फोन का ईंतजार करते है इसलिए हर दिन अब मुझे फोन करना पडता है और मैँ यह आपके जाने के बाद बखुबी निभा रहा हूँ ।
भाई आपकी अल्प म्रत्यु हो जाने से आप जो भी इस मनुष्य जन्म की जिम्मेदारियोँ जैसेँ बच्चोँ की पढाई और उनकी शादी ईत्यादी को पुर्ण न कर सके, उन सभी जिम्मेदारियोँ को पुर्ण करने हेतु मै आपको बचन देता हूँ, आप जँहा कहीँ भी रहेँ सुख और शांति से रहेँ यही मै परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूँ । काश की प्रभू हमे इतना सा मौका दे देते कि आपको होस्पिटल तक ले जा पाते भले ही होस्पिटल मे ईलाज के दौरान यह अनहोनी हो जाती लेकिन हमे शकुन मिलता है कि हमने एक कोशिस तो की थी ।
आपकी हर एक यादोँ को मैंने सम्भाल के रखा है । आपकी हर एक भेजी हुई चिठ्ठी मैंने सम्भाल के रखी है और जीवन पर्यंत इन यादोँ को अपने साथ रखुँगा ।
जन्म - 08/08/1975
म्रत्यु - 10/04/2019
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