"राजकिय ईंटरमिडिएट कालेज मुन्नाखाल" ईस स्कुल मे बिताये 7 साल की यादेँ सदा ही याद आते रहेगी । उन्ही यादोँ को समेट कर कविता के माध्यम से आपके सम्मुख ये 4 पक्तियाँ सादर...................
कभी हंसाये कभी रुलायें
रह जाती है तो बस यादें ।
स्कुल के दिन कैसे गुजारे
रह गयी है अब बस यादें ।।
कास येसा जो कभी हो जाये
बचपन के दिन लौट के आये ।
मुडकर फिर हम स्कुल जायें
फिर ना कभी आती ओ यादें ।।
कभी हंसाये कभी रुलायें
रह जाती है तो बस यादें
यांदो मे यादे है समायें
बचपन के ओ खेल तमासे ।
घन्टी स्कुल कि बज जायें
देर से हम फिर स्कुल आयें ।।
कभी हंसाये कभी रुलायें
रह जाती है तो बस यादें
जमी कुर्सी और छ्त है तारें
गुरुजी धुप सेक के पाठ पढायें ।
लडे-झगडे और पढे-पढायें
यही तो है बचपन कि यादें ।।
कभी हंसाये कभी रुलायें
रह जाती है तो बस यादें
कभी हंसाये कभी रुलायें...
रह जाती है तो बस यादें...
सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी
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