Friday, 21 June 2013

उत्तराखँड मे पराक्रतिक आपदा


ये क्या प्रक्रति का आक्रोश
या देवताऑ का प्रकोप ?
हुआ कलयुग का अगमन
कि पर्वत हुये जलमग्न ।
ना सोचा था न सोचेँगे
ना देखा था ना देखेँगे
तेरा ये विकराल रुप...!

अपने ही कर्मो कि...
मिली क्या सजा हमको ?

गल्ति येसी क्या हुयी जो हमसे
अपने ही दर पे जो बिछा दी लासेँ
कुछ की तो अभी चलती है साँसे
पर निकलेँ तो कैसे दबी है बाहेँ
ये एक चेतावनी प्रक्रति की
ना खेलो मुझसे जादा
खेलोगो तो योँ ही प्रलाय
आता रहेगा आता रहेगा ॥

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