शहीदों की चिताओ पर लगेंगे हर बरस मेले
वतन पर मरने वाले का यही बाकि निशाँ होगा......
कभी समय
था जब हम साथ मे स्कुल जाया करते थे
कभी समय
था जब हम साथ मे ट्युसन पढा करते थे
कभी समय
था जब हम साथ मे खेला करते थे.... और
एक ओ भी
समय था जब हम साथ मे भर्ती होने गये थे
ओ उस दिन
भर्ती हो गया और हम बहार हो गये .......
ओ फौजी और
हम विदेशी बन गये ...................
मिलना
जुलना नही हुआ सालो से, बस सोचते रह गये
मिलेंगे
पुरसत से कभी, येसा ओ मुझसे कह गये
क्या सोचा
योँ मिलेंगे कि सोचते रह गये
ओ देश
सेवा के लिये, शहिद हो गये...
मिलने के
ओ सपने, सपने रह गये
तिरँगे मे
बँद अंतिम दर्शन मैने भी कर लिये
दोस्ती की
कसमो को कुछ योँ निभा गये
खट्टी -
मिठ्ठी यादोँ के सहारे छोड गये
दोस्त
तेरी अंतिम यात्रा मे भी हम आ न सके
श्रधांजली
नम आखोँ से यही से दे गये ।
भारत माँ
के बीर सपूत तुम बिन बोले चले गये
माता पिता
सँग पत्नि और दो नन्ही बेटियाँ छोड गये ॥
विनोद
जेठुडी
मेरी विनम्र श्रधांजलि ...
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