बुराईय़ोँ के
अन्धियारे मे
अच्छाई का दीप
जलाइँगे
देखो दिवाली
आयी है....
हम जश्न खुब
मनायेँगे
प्रकाश के इस
पावन पर्व पर
परिवर्तन कुछ
तो लायेँगे.....
पर्यावरण अपना प्रभावित
न हो
मिट्टी के दिये
जलायेँगे
स्वदेशी
निर्मित वस्तुओँ से
घर अपना
सजायेँगे.........
सुन्दर, स्वर्णिम देश हो अपना
येसा भारत
बनायेँगे
अनेकता मे एकता
का
सन्देश कुछ योँ
दिलायेँगे
कि हिन्दु-
मुसलिम, सिख, इसाई
मिलकर दीवाली
मनायेँगे
" सुभ:
दिपावली के सुभ अवसर पर...............
यह हमारी सुभकामना
कि, आप बडे धनवान हो
सुख, सम्रधी,
धन, वैभव और यश किर्तीमान हो
दानिय़ोँ के दानी और येसा
आपका ज्ञान हो
जिस जगह पडे
कदम आपके, वहाँ बडा सम्मान हो"
विनोद जेठुडी -
"समूण"
No comments:
Post a Comment