पर पीड़ा से दुःख पहुंचे जो
प्राणियों से प्रेम करता है,
करुणामय हर्दय जिसका
"दयालुता" कहलाता है ||
सत्य का साथी झूठ विरोधी
जो मानव अपनाता है,
"दयालुता" धर्म निभाकर
"मानवता" कहलाता है ||
दयालु जीवन पाकर के जो
परोपकारिता करता है,
दया धर्म और कर्म है पूजा
सबसे बड़ा धर्म निभाता है ||
छोड़ के "दयालुता" को जो
अभिमानी बन जाता है,
बिन "दया" के मानव ना ओ
जानवर भी नहीं रह जाता है ||
पहला गुण मानव का ये
"दयालुता" कहलाता है,
"दयालुता" धर्म निभाकर
"मानवता" कहलाता है ||
सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी
dayaluta ko bahut sundar dhang se paribhashit kiya hai aapne.. badiya rachna
ReplyDeleteBahut bahut dhanybaad kavita bahan ji aap ne rachna ko padha evm pasand kiya achha laga..
ReplyDeleteदयालुता ...अपने आप में सम्पूर्ण शब्द हैं ...
ReplyDeleteआपके शब्दों में इसकी व्याख्या ,,....बहुत खूब
बहुत सार्थक सन्देश..सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यबाद अनु जी एवं कैलाश जी ..
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