दुखों के पहाडॊं तले खुशी का मकान
यों दबा कि, मिट गया नामो निशान ।
खुशी की खुशी को खुशी से लौटा दे
अभी भी आश्था बची है भगवान ...॥
सर्वाधिकार सुरक्षित © विनोद जेठुडी
20 जनवरी, 2014 @ 6:58 A.M
पर पीड़ा से दुःख पहुंचे जो प्राणियों से प्रेम करता है, करुणामय हर्दय जिसका "दयालुता" कहलाता है || सत्य का साथी झूठ विरोधी जो मानव अपनाता है, "मानवता" धर्म निभाकर "दयालुता" कहलाता है || दयालु जीवन पाकर के जो परोपकारिता करता है, दया धर्म और कर्म है पूजा सबसे बड़ा धर्म निभाता है || छोड़ के "दयालुता" को जो अभिमानी बन जाता है, बिन "दया" के मानव न ओ दानव कहलाता है || पहला गुण मानव का ये "दयालुता" कहलाता है, "मानवता" धर्म निभाकर "दयालुता" कहलाता है ||
शिक्षा का दान करने वाले महान होते हैँ । शिक्षक के रुप मे वह, भगवान होते हैँ ॥ शिक्षक दिवस की सुभकामनाएँ
आशा हो तो जरूर पूरी होगी ...
ReplyDeletedhanywaad Digamber ji.... Usi aasha ke sahare jiye jaa rahe hai ..
ReplyDeleteखूबसूरत सोच
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