Thursday, 23 January 2014

संघर्ष - जीवन और मृत्यु के बीच

नहाने गया था नदी किनारे 
यों फिसला कि बह गया....। 
संघर्ष काफी किया था उसने 
पर तेज भॅवर में फंस गया ॥ 

लहरों में ओ बहता जाता। …..
कभी डुबता कभी ऊपर आता । 
तैरना उसको आता नहीं था …
फिर भी तैरने कि कोशिस करता ॥ 

एक समय तो यों भी आया 
जैसे मानो जीत गया .…। 
किनारे तक बस पहुँच ही चुका था 
फिर तेज लहरों में बह गया.…॥ 

संघर्ष करना काम था उसका 
संघर्ष उसने काफी किया  ....। 
बाहर से हौसला हमने भी दिया पर,
होनी को न टाल सका …॥ 

ऊफ्फ , कैसा मंजर रहा होगा ओ 
जब ओ उससे गुजरा होगा। … ।  
भगवान्, उस आत्मा को शांति देना 
येसा कभी किसी के साथ न करना। . ॥ 



सर्वाधिकार सुरक्षित © विनोद जेठुडी
23  जनवरी, 2014 @ 6:55 A.M

1 comment:

  1. शब्दों में कहानी बयाँ कर दी ... मंज़र खींच दिया ...

    ReplyDelete

शिक्षक दिवस की सुभकामनाएँ - 2022

 शिक्षा का दान करने वाले महान होते हैँ ।  शिक्षक के रुप मे वह, भगवान होते हैँ ॥  शिक्षक दिवस की सुभकामनाएँ