प्रेम पुजारी प्रेम दिवानी........
प्रेम की एक छोटी सी कहानी...!
इन्तजारी मे, बैठी है किसी की..
पास मे नदी का, बहता पानी....!!
गया था कोइ उसे छोडकर..
फिर न देखा पिछे मुडकर...!
अन्त मिलन कि जगह येही है...
पार गया ओ, सात समुन्दर....!!
हर दिन ओ यंहा है आती..
कुछ समय अपना बिताती..!
मन का बोझ हल्का होता..
शायद अपने मन को बहलाती..!!
हाय ये कैसी प्रेम मजबुरी ?
फुट-फुट कर कभी ओ रोती..!
प्रेम के रन्ग का पी गयी पानी
जैसे क्रिष्ण के रंग मे राधा दिवानी..!!
प्रेम पुजारी प्रेम दिवानी
प्रेमी कोई ना देखी येसी..!
तडप रही है, झुलस रही है
फिर भी उसको ना भुल पाती..!!
"प्रेम की पुजारी, प्रेम की दिवानी
प्रेम की एक सच्ची कहानी........
ईन्तजारी मे, बैठी है किसी की..
पास मे नदी का, बहता पानी...."
सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी
No comments:
Post a Comment