प्रेम दिवस के प्रेम पर्व पर, प्रेम का बस करें गुणगान ।
सच्चे मन से हों समर्पित, सदा सबका करें सम्मान ।।
ईर्श्या क्रोध ना कभी पनपे मनमे, किसी का कभी ना करें अपमान ।
प्रेम का दिलो मे दीप जले जंहा, वंहा बसते है भगवान ।।
परोपकार मे बनो धनी इतना कि, तुम से बडा ना कोइ धनवान ।
दया हर प्राणी से करें और, बढे सतकर्मो से स्वाभिमान ।।
सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, २०११
13 फ़रवरी 2011 @ 23:45
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