ना रही और लडने की हिम्मत,
ना रही कुछ पाने की तम्मना...
जो भी पाया उसमे ही खुश था,
जादा खुशी का मुझे क्या है करना ?
दी हुयी चिजो को वापस लेना,
ये कंहा का है दस्तूर तेरा ????
भगवान तेरे दर पे आया हूं,
वापस मुझे मेरी खुशी दे देना...!
सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, 10 सितम्बर 2010 @ 11:24 AM
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