Tuesday 2 August 2011

गमो का सागर

गमो के सागर मे गोते खाये जा रहा हूं
दुखो की लहरो से टकराये जा रहा हूं
उफ़्फ़ कितना दर्दभरा है ये सफ़र..
फिर भी मन्जिल पाने की आस मे...  
आघे बढा जा रहा हूं.......॥ 

सर्वाधिकार सुरक्षित @ विनोद जेठुडी, 10 सितम्बर 2010 @ 10:32 AM

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